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दीपावली: त्योहार की खुशियाँ और सामाजिक जिम्मेदारी

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दीपावली आ गई। इसके पहले धनतेरस, रूप लक्ष्मी भी मनाया गया। हां,अन्य त्यौहारों की तरह दीपावली के मनाने की तिथि को लेकर बड़ा ही असमंजस रहा। बड़े बड़े विद्वान, शास्त्रों के जानकार अपने अपने दावों के साथ कभी 31 तो कोई पहली के पक्ष में श्लोकों, विवेचनाओं को उद्धृत करते रहे। खैर अन्त में 31 अक्टूबर को मनाने पर बहुत ज्यादा लोगों में सहमति बनी।वैसे तो यह सात दिनों का त्यौहार है। पटाखे, बिजली की लड़ियां,मिट्टी के दीए, मोमबत्ती और तरह तरह के पकवान,मिठाई, सभी इन सात दिनों में खूब प्रयोग में लाई जाती हैं। त्यौहार की तैयारी तो शायद एक महीने पहले से होने लगती है। साफ सफाई, कबाड़ी को पुराना सामान बेचना चलने लगता है। कहते तो ज्ञानी लोग यही है की सभी त्यौहार वैज्ञानिक आधार पर बनाए गए हैं। सच भी लगता है अगर शान्त मन से मनन करें तो।वर्ष में एक बार घरों की साफ सफाई, पुताई, खराब और पुराने चीजों को हटाना, कोने कोने में रोशनी करना, एक दूसरे को मिलना,उपहारों की अदला बदली,परिवार,पड़ोस और समाज में एक दूसरे के प्रति सद्भावना तो प्रदर्शित करता है साथ कीटाणुओं का नाश भी होता है।पर कहते हैं कि अति बहुत खराब होता है। पटाखों का बहुतायत उपयोग, मिलावटी मिठाइयों का उपयोग धीरे धीरे हम सब के उत्साह को ठंडा करता जा रहा है। पर्यावरण की समस्या, स्वास्थ की समस्या उभर कर आ जाती है। त्यौहार को त्यौहार की तरह मनाएं, दूसरों का ख्याल रखें, आस पड़ोस में कोई बीमार भी हो सकता है उनका भी ध्यान रखना होगा, पेटस का ध्यान रखना भी आवश्यक है। त्यौहार मौज मस्ती से मनाएं परन्तु ऐसा की किसी अन्य को कोई परेशानी नहीं हो।शुभ दीपावली

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