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Movie Review- FIGHTER

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बॉलीवुड ड्रामा “फाइटर” में वह चीज नहीं है, जो “टॉप गन: मैवरिक” में थी परन्तु उस से बहुत प्रेरणा लेती है। भारत के गणतंत्र दिवस के समय रिलीज़ हुई, “फाइटर”  2019 के पुलवामा हमले की याद दिलाती है। साथ ही  बालाकोट हवाई हमले की भी । हिंदी भाषा के पॉप सिनेमा  में राष्ट्रवादी भावनाओं के उदय को देखते हुए इन वास्तविक जीवन की घटनाओं  द्वारा भीड़ को खुश करने के बहाने के रूप में इस्तेमाल करना आश्चर्यजनक नहीं है।

फ़िल्म का ज़्यादातर हिस्सा सौहार्द और रोमांस पर केंद्रित है, जिसमें सह-प्रमुख ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण और उनके कुछ साथियों द्वारा निभाए गए  किरदार में नयापन और रोमांच है। “

“फाइटर” के निर्माता कुछ मानक चकमा देने की कोशिश करते हैं, जहां तक उनके पात्रों के राष्ट्रवाद को प्रेरित करने की बात है। फ़िल्म के अनुसार, पाकिस्तानी लोगों को बदनाम नहीं किया जाता है, बल्कि भारत से नफरत करने वाले आतंकवादियों का एक समूह है जिसका नेतृत्व अनपेक्षित नेता अजहर अख्तर (ऋषभ साहनी) करते हैं।
फ़िल्म का  भारतीय  वायु सेना के तर्ज पर  फिल्माया ड्रामा  अपने रोमांटिक म्यूज़िकल नंबरों से लेकर कमांड एयर फ़ोर्स ड्रामा  तक रोचक है। पैंटी और रॉकी का आपस में टकराना लेकिन यह  यथार्थवादी टकराव नहीं है।   पैटी और उनके साथी वायु सेना के पायलट  कड़ी मेहनत करते हैं। प्रतीकात्मक रूप से ऊर्जावान, लेकिन असाधारण म्यूज़िकल नंबर में, “द लायन्स आर ऑन द प्रोल टुनाइट” जैसे बोल शामिल हैं।
फाइटर  काफी विशिष्ट है, और  हाल के दिनों की तरह   बड़े पैमाने पर दर्शकों को बॉलीवुड स्टार  वाले  फिल्मों  का भारतीय बॉक्स ऑफिस पर वापसी दर्शाती है।  
“फाइटर” को विश्वसनीय रूप से “बिलीवर” नाम दिया जा सकता है।  “फाइटर”  फिल्म अपने मूल कहानी से कही भी भटकती नही है।यह अपने वादों में से अधिकांश को पूरा करती है। राष्ट्रीयता से ओत प्रोत फिल्म दर्शकों में राष्ट्रीय भावना को और अधिक वेग से जागृति कराने में सफल रहीं है।

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