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मुंबई के उपनगर कलिना से कान्स रेड कार्पेट तक का सफ़र छाया कदम द्वारा

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सुश्री छाया कदम, जिन्होंने कभी राज्य स्तर पर कबड्डी खेली, कभी सपने में भी अभिनय क्षेत्र में आने की कोई योजना नहीं बनायी।वर्ष 2025 के लिए देश की आधिकारिक ऑस्कर प्रविष्टि, “लापता लेडीज़” में अपनी भूमिका के कारण सनसनी बन गई हैं।इनकी मराठी थिएटर से लेकर कान्स रेड कार्पेट तक की यात्रा अनेकानेक अप्रत्याशित मोड़ो और कड़ी मेहनत से अर्जित जीत की मिसाल है। छाया कदम मुंबई के एक उपनगर कलिना में जन्मी और पली-बढ़ी, एक श्रमिक वर्ग की पृष्ठभूमि से आती हैं। वर्ष 2001छाया कदम के लिए दुःखों का पहाड़ लेकर आया उस समय ये इतनी टूट गई थी की महीनों तक अपने घर से बाहर नहीं निकली। बहुत ही कम अंतराल पर इन्होंने पिता और भाई के जाने का सदमा बर्दाश्त किया।परिचितों और दोस्तों के अथक प्रयास से इन्होंने सदमे से बाहर निकालने का सहारा ढूँढा। जब इनकी नज़र एक समाचार पत्र में अभिनय कार्यशाला के विज्ञापन पर पड़ी। इन्होंने अपने को गमगीन माहौल से दूर जाने के लिये दोस्तों के सलाह पर अभिनय कार्यशाला को जॉइन करने का निर्णय लिया। उस समय किसे पता था कि यह निर्णय उनकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा।परंतु इसके बाद भी छाया कदम की सफलता रातोंरात नहीं आई। खिलाड़ी का जीवन जीने के बाद इन्होंने जिम खोलने या पुलिस बल में शामिल होने का मन बनाया पर वहाँ भी सफलता हाथ नहीं आयी। अभिनय की तरफ़ देखने का मन नहीं हुआ क्योंकि अभिनय करना कभी इनके दिमाग़ में आया ही नहीं। उन्होंने स्वयं स्वीकारा है कि “मैंने अभिनय करने की योजना नहीं बनाई थी; यह गलती से हुआ”। कई वर्षों तक अजीबोगरीब काम करने और अपने परिवार को चलाने के बाद इन्हें मराठी रंगमंच की दुनिया ने अपनी ओर आकर्षित किया। कर्तव्यपालन, कर्मठता तो शुरू से ही थी अब उत्साह भी जुड़ गया परंतु इसके बावजूद, छाया कदम की पहली फिल्म कभी दिन की रोशनी नहीं देख पाई, और उनकी पहली बॉलीवुड भूमिका में सिर्फ एक दृश्य शामिल था। उत्साह तो कूट कूट के भरा था हिम्मत नहीं हारी और हर छोटे अवसर को अपने क्षमता तथा दृढ़ संकल्प से अपने अंदर छिपे हुए कलाकार को बाहर प्रदर्शित करने का मौक़ा नहीं छोड़ा। उन्होंने कभी स्वीकार किया था कि “अपने करियर की शुरुआत में, दूरदर्शन की भूमिका के लिए एक निर्देशक से संपर्क किया था लेकिन उन्हें बताया गया कि कास्टिंग हो गई है और इसके बजाय उन्हें सहायक का पद दिया गया। उन्होंने स्वीकार कर लिया, लेकिन जब मुख्य किरदार नहीं आ पाया तो इन्हें वह अभिनय करने के लिये कहा गया। उन्होंने आगे जोड़ा कि “यह उन क्षणों में से एक था जब उन्हें पता था कि वो सही समय पर सही जगह पर हैं। उन्हें यह एहसास था की वे एक ऐसे उद्योग में प्रयासरत हैं जहाँ चेहरा- मोहरा, संपर्क और अंग्रेजी में धाराप्रवाह बोलना प्राथमिकता स्तर पर अक्सर सफलता निर्धारित करता है। सुश्री कदम, खुद को जगह से बाहर का महसूस करती थी। उन्होंने कही बताया है कि “मैंने 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पार्ट करना शुरू किया। मेरे आस-पास के सभी लोग युवा, होशियार और अधिक जुड़े हुए लग रहे थे” । लेकिन अपने को इन्होंने किसी भी सीमा में बाधनें की कोशिश नहीं किया। वर्ष 2013 में इन्हें “फैंड्री” के साथ सफलता मिली, जहाँ जाति उत्पीड़न से जूझ रही एक महिला नानी के शक्तिशाली चित्रण ने इन्हें आलोचकों की प्रशंसा दिलाई। इसके बाद, सैराट और न्यूड जैसी मराठी फिल्मों में कई अविस्मरणीय भूमिकाएँ निभाईं, जिसने उद्योग में उनकी उपस्थिति को और मजबूत किया। वर्ष 2018 में, छाया कदम ने श्रीराम राघवन की अंधाधुन में एक उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। वर्ष 2022 में, इन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ “झुंड” में बच्चन के चरित्र की पत्नी रंजना के रूप में अभिनय की अमिट छाप छोड़ी। सुश्री कदम इस मील के पत्थर का श्रेय उन अदृश्य महिलाओं के अपने चित्रण को देती हैं जिन्हें उन्होंने अपने पूरे करियर में बिना किसी दूसरे विचार के स्क्रीन पर दिखाया है। वे कहती हैं कि “मैंने कभी नहीं सोचा कि एक किरदार निभाऊँ और दूसरा नहीं- मैंने बस अपने दिल की सुनी और जो मैं करना चाहती थी, वही किया।” अपनी अंतरात्मा की आवाज की इसी खोज ने उन्हें पहली बार वर्ष 2001 में अभिनय कार्यशाला में पहुंचाया। 23 वर्ष बाद, छाया कदम ने फेस्टिवल डी कान्स में एक बार नहीं, बल्कि दो बार स्क्रीन पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पहली पायल कपाड़िया की 'ऑल वी इमेजिन' के साथ जिसने 'ग्रांड प्रिक्स' पुरस्कार जीता और फिर करण कंधारी की 'सिस्टर मिडनाइट' के साथ। वर्ष 2024 में तेज़ी से आगे बढ़ी। सुश्री कदम हर जगह दिखाई दे रही हैं - बड़े पर्दे पर, छोटे पर्दे पर और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में भी। 'लापता लेडीज' में इनकी शानदार भूमिका ने न केवल वैश्विक प्रशंसा हासिल की है, बल्कि इसे सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म श्रेणी में वर्ष 2025 अकादमी पुरस्कारों के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में भी चुना गया है। 'लापता लेडीज' में छाया कदम की भूमिका - एक स्वतंत्र चाय की दुकान की मालिक मंजू माई के रूप में सनसनी बन गई है। दर्शकों ने एक ऐसी महिला के उनके सूक्ष्म चित्रण की प्रशंसा की है जो सख्त लेकिन दयालु है। अपने अपमानजनक पति से विश्वासघात और उसके द्वारा किए गए बलिदानों का सामना करने के बाद कठोर हो चुकी मंजू माई, फूल (और दर्शकों) को आत्मनिर्भरता की शक्ति सिखाती है।

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