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कला एवं संस्कृति

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उज्जैन यात्रा: एक रिपोर्ट

भारत के ऐतिहासिक शहर उज्जैन, मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य में क्षिप्रा नदी के किनारे बसी एक प्राचीन नगरी का एक व्यापक परिचय प्रस्तुत करने का यह प्रयास है।

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चिदम्बरम नटराज मन्दिर

चिदम्बरम नटराज मन्दिर का निर्माण लगभग 10वीं शताब्दी में हुआ था। इसे चोऴ वंश के राजा कोच्चेंगण्न के शासनकाल में बनवाया गया था। यह मन्दिर भगवान शिव के त्रिमूर्ति रूप नटराज को समर्पित है। इसके अनुसार शिव, सृष्टि, स्थिति और प्रलय के देवता हैं ।

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प्रणाम या नमस्ते - क्यूँ, कब और कैसे ?

प्रणाम, किसी चीज या किसी अन्य व्यक्ति के सामने सम्मानजनक या आदरपूर्ण अभिवादन (या आदरपूर्ण झुकना) का एक रूप है - आमतौर पर किसी के बुजुर्ग या शिक्षक या वो जिसका अत्यधिक सम्मान किया जाता है।

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क्या ईश्वर का कोई आकार है?

चाहे वे किसी भी धर्म, साधना या आस्था से जुड़े हों पर क्या उनकी बातों पर आसानी से विश्वास कर लेना चाहिए या फिर उनको भी अपनी तर्क शक्ति के आधार पर परखना चाहिए? ऐसे कई विषय व विचार मस्तिष्क में आते हैं इस पर सोचने के लिए विवश करते हैं। ईश्वर कौन है?

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पीढ़ी दर पीढ़ी उपयोग में आने वाले कुछ घरेलू उपाय

साधारतया सामान्य बीमारियों से निपटने के लिए उपचार हर भारतवासी की रसोई में उपलब्ध सामग्री से तैयार करना सम्भव है। इन के उपयोग से शरीर में आवश्यक प्रतिरोध क्षमता का भी विकास होता है तथा ये सस्ते भी रहते है।

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मई 2024 का मासिक राशिफल

मई 2024 का मासिक राशिफल

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उज्जैन यात्रा

भारत के ऐतिहासिक शहर उज्जैन, मध्य भारत के मध्य प्रदेश राज्य में क्षिप्रा नदी के किनारे बसी एक प्राचीन नगरी का एक व्यापक परिचय प्रस्तुत करने का यह प्रयास है। उज्जैन, एक समय भारत का सबसे प्रमुख शहर था।

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मन क्या है?

बहुत ही सूक्ष्म सवाल है जिसे जानना बहुत ही रोचक और जरुरी है। मन हमारी आत्मा का ही एक रूप है, एक शक्ति, जो शरीर को चलाता है।मन शरीर की क्रियाओं को आत्मा से जोड़ता है।

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प्रणाम या नमस्ते - क्यूँ, कब और कैसे करे ?

अपनी हथेलियों को एक साथ मिलाकर रखना और अक्सर अभिवादन करने वाले व्यक्ति के पैरों को छूकर किया जाने वाला एक सम्मानजनक अभिवादन एक संभावित व्यक्ति के लिए अपना आदर प्रदर्शित करने का भाव माना जाता है।

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बुरा ना मानो होली है

सर्दियों का मौसम साफ-सुथरे तरीके से अटारी में सजा हुआ है, अब समय आ गया है कि अपने कोकून से बाहर आने का और इस वसंत उत्सव का आनंद लेने का।प्रत्येक वर्ष होली का रंग रंग त्यौहार फाल्गुन मास में पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है।