:
visitors

Total: 680770

Today: 179

Breaking News
भूल भुलैया- 3 Movie Review,     राशिफल: 16-30 नवंबर 2024,     नानी दादी के घरेलू नुस्खे,     आज़ादी के नायक रघुबर दयाल श्रीवास्तव,     Tenses in English,     A New System Introduced to Save Incomplete Chat Conversations,     एकाग्रता: सफलता की कुंजी,     Freshwater Fish Discovered,     Samartha, a Receptionist Robot to Welcome Visitors,     Employment Surging in India's Capital-Intensive Industries,     भारतीय कुश्ती और नियम,     गुल्ली डंडा का इतिहास, नियम एवं मैदान का संक्षिप्त परिचय,     देव उठावनी एकादशी की महत्ता,     Simplify Centralised Registration Process- Doctors Urge National Medical Commission,     Port Infrastructure Gets a Boost in Chennai,     महंगाई का रोना: जीवन के बदलते मायने और समाधान,     पर्यावरण: परिभाषा, महत्व और संरक्षण की चुनौतियां,     Rohit Bal Dies at 63,     Yuvagyan Hastakshar Latest issue 15-30 November 2024,     संभवतःअगले साल जनगणना, फिर सीटों का परिसीमन?,     Pottel Movie Review: A Stirring Drama on Education and Social Justice,     राशिफल: 01-15 नवंबर 2024,     नानी दादी के घरेलू नुस्खे,     भारतीय व्याकरण के सिद्धांत और हिंदी का विकास,     वेल्लोर का स्वर्ण मन्दिर: तमिलनाडु की आस्था और भव्यता का प्रतीक,     Researchers at MIT-Bangalore developed a model to teach drones and robots to be more responsible,     Women’s T20 WC 2024,     फुटबॉल का इतिहास: प्राचीन युग से आधुनिक खेल तक की यात्रा,     UP Kabaddi League Set for Expansion for Season 2,     Cyclone ‘Dana’ Devastates Midnapore and Jhargram,     Improved TB Treatment,     Shortage of Talent in Semiconductors Field,     जम्‍मू - कश्‍मीर में चुनाव,     National Manuscript Mission to be Relaunched,     पुराने श्री गणेश और लक्ष्मी जी का विसर्जन - एक निवेदन,     Yuvagyan Hastakshar Latest issue 01-15 November 2024,    

ग्रैंड पेरेंट्स की गरिमा

top-news

जीवन की भाग दौड़ में पता ही नहीं चला की परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभा भी पा रहे है या नहीं? सब से श्रेष्ठ अपने को साबित करने और विधा में सबकुछ जान लेने की चाहत तथा नए नए तकनीकी को समझ कर सीख कर देश हित में लागू करना, विशेष उन्नति और कार्यदक्षता सभी को उपलब्ध कराना ही एक मात्र ध्येय रह गया था।कुछ इसे अतिशयोक्ति मानेंगे परंतु मैं स्वयं और मेरा परिवार इस का गवाह है कि कभी बच्चों के पेरेंट्स मीटिंग में नहीं जा पाया। कभी बीमार पड़ने पर बच्चों को अस्पताल नहीं ले जा पाया। कभी भी किसी जगह दाखिला कराने के समय भी उपलब्ध नहीं हो पाया। किसी का आना जाना, शादी, ब्याह या और किसी भी प्रकार के फंक्शन में या तो गया नहीं या गया तो भी केवल शक्ल ही दिखाई। पता नहीं क्या चलता रहता था दिमाग में की अपने काम के अलावा कभी कुछ दिखाई ही नहीं देता था। मुझे अच्छी तरह से याद है कि अपने पहली नौकरी के समय, जब इमरजेंसी लगी थी, बस सुना था अनुभव कभी नहीं किया क्योंकि सुबह दिन निकलने से पहले उपलब्ध कराए गए मकान से कार्य स्थल चले जाना और देर रात वापस आना, यही दिनचर्या रहती थी। तो ये भी नहीं कह सकता कि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में पहले आगे रहता था बाद में पीछे हटा। बच्चे, डॉक्टर बने, बैंकर बने, इंजीनियर बने, अच्छे से अच्छे स्कूल में तालीम ली, पर शायद जरूरत जब उनको मेरी थी मैं अपनी अलग की मृगमरीचका में फंसा रहा।वो आनन्द नहीं ले पाया या कहें कि लिया नहीं,जो मिलता अगर मैं इन जगहों पर बच्चों के साथ खड़ा होता। पारिवारिक सभी जिम्मेदारियों को धर्मपत्नी के जिम्में छोड़ रखा था और उन्होंने ननदों, भतीजी, भतीजा से लेकर बच्चों की शादी तक को बहुत ही बखूबी से निभाया और निभा रही हैं। शायद इसी कारण मुझे देश, समाज और उनके लिए कुछ करने का मौका मिला जो शायद नहीं मिलता अगर मैं इन जिम्मेदारियों को निभाने में लग जाता। अब यहां पहुंचने के बाद जब दिमाग में पीछे की रील चलती है तो समझ में आता है कि कितनी दुश्वारियों को झेल होगा। मुझे किसी ने पहचाना ही नहीं कि ये - उनके फादर है या, इनके मामा, चाचा या भाई हैं। वो सुख कभी नहीं मिला क्योंकि मैं कभी उस स्थान पर रहा ही नहीं तो कैसे कोई जनता। सारा परिवार पत्नी के धुरी पर ही घूमता रहा और मैं उस सुख से वंचित ही रहा। जब वो सुख भोगा ही नहीं तो उसकी अहमियत भी कभी समझ ही नहीं आयेगी। यह ठीक है कि अपने कैरियर में उन बुलंदियों को छुआ जो कुछ का सपना होता है। पर आज जिस खुशी को जिया वह अनमोल रहा। आज ग्रैंड डाटर के प्री स्कूल में ग्रैंड पेरेंट्स डे मनाया गया। सभी को इन्विटेशन था। मेरी लड़की ने बहुत प्रेशर दिया कि जाना ही होगा।ग्रैंड डाटर भी बहुत खुश, बोल तो साफ नहीं पाती परंतु आव भाव से समझा दिया कि नाना नानी का साथ जाना उसे कितना अच्छा लग रहा है। कभी ऐसी गैदरिंग ज्वाइन नहीं किया था, मन में सकुचाहट थी परंतु साथ गए समधी जी, समधन जी, दामाद जी और पुत्री लगातार हिम्मत बढ़ाते रहे। बहुत ही शानदार ढंग से कार्यक्रम का आयोजन हुआ, सभी आगंतुकों को पूरे कार्यक्रम में ऐसे शामिल किया गया जैसे उन्होंने ही सब तैयारी की हो। सब का पार्टिसिपेशन यादगार बन गया।वहां ग्रैंड पेरेंट्स की गरिमा समझ में आई जब हर जगह नतिनी के नाम से हमें पहचाना गया। दिल फूला नहीं समा रहा था और मन ही मन पहले जो मिल सकता था नहीं मिला उसका मलाल काटता रहा लेकिन अब वो दिन तो वापस नहीं आ सकते बस उसे महसूस कर सकते हैं। वो गरिमा, सम्मान और आदर ग्रैंड पेरेंट का मिला भूलना मुश्किल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *