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बुरा - ना - मानो - होली है

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बुरा - ना - मानो - होली है!


चोर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं


आप को ये मजाक लगेगा परंतु ध्यान से पढ़ें फिर समझ आएगा कि ये तो शत प्रतिशत सही है।यह वाकई  में ध्यान देने लायक विषय है।

 1- चोरों  से बचने के लिए तिजोरियाँ, अलमारियाँ और ताले हैं।
 2 - चोरों की वजह से   ही घरों की खिड़कियों पर ग्रिल लगी होती हैं।
3 - दरवाजे लगाए जाते हैं।
4- बाहर सुरक्षा दरवाजे भी  लोग लगाते हैं।
 5 - चोरों के कारण घर या सोसायटी के चारों तरफ चारदीवार बनाई जाति है उसपर कंटीले तार लगाए जाते हैं।
6 -  चारदिवार में ओर एक  या इस से अधिक गेट  लगाए जाते हैं।गेट पर 24 घंटे का चौकीदार  बैठाया जाता है। इनकी संख्या तीन से अधिक कितनी भी हो सकती है।
7 - जितने चौकीदार  उतनी संख्या में वर्दी, जूते, चप्पल, सीटी और डंडा का भी इंतजाम करना होता है।
8 -  चोरों की वजह से  ही सीसीटीवी लगाए जाते हैं।
9 - मेटल डिटेक्टर भी लगते हैं, हाथ से चेक करने वाले यंत्र भी गार्ड्स को उपलब्ध कराए जाते हैं।बल्कि 
10 - विज्ञान की उन्नति और उसी प्रकार चोरों द्वारा नए नए विधि ढूंढ लेने के कारण अब तो  पूरा का पूरा साइबर सेल भी  कार्य करता है।
11- चोरों के कारण पुलिस फोर्स बनानी पड़ी है।
12- पुलिस चौकी बनी है।13- पुलिस स्टेशन है। गाड़ियाँ खरीदी जाती हैं।
 14-  राइफल, रिवाल्वर  और गोलियाँ  बनाई और खरीदी जाती हैं।
 15-  चोरों को सजा देने के लिए अदालतें बनाई गई हैं।है, 16-  फिर अदालत में जज साहब होते है, पेशकार  होते हैं।
17-  पैरवी करने के लिए दोनो पक्षों के वकील साहब होते हैं। सहायता करने के लिए टाइपिस्ट होते है, क्लर्क होते है।
18- जमानतदार  होते है, फिर पैरवी करने आने वाली को चाय, समोसे या खाना खिलाने के लिए खोखे लगते है उन पर छोटू होते हैं।
19- इनके बैठने के लिए लकड़ी के या एल्यूमीनियम,स्टील के कुर्सी, मेजें होते है, खाना, नाश्ता की प्लेट, चाय के लिए ग्लास या मग नही तो मिट्टी के कुल्हड़, इन सब को बनाने के  लिए पता नही कितने कारीगर और फैक्ट्रियां लगती हैं।
20- चोरों के सजायाफ्ता  होने पर जेल जाना हैं। वहां की व्यवस्था के लिए जेलर हैं, जेलों में पुलिस है और अन्य कर्मचारी होते हैं।
21- कुछ गायब या चोरी जाने की अवस्था में पुनः नया खरीदा जाता है। जिस से मांग बढ़ती ही रहती है। नए नए कंपनियां इन्हें बनाने के लिए लगे है और उनमें लाखों लोगो को रोजगार मिला हुआ है।
केवल चोरों की वजह से लाखों लोगो को रोजगार मिलता है, बाजार में सामानों की मांग बनी रहती है। 
बेरोजगारी कम होती है।देश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलती है। मीडिया को भी खबरें मिलती है चैनल चल पड़ता है। अखबारों में अगर चोरी की खबर ना हो तो उनके पेज खाली ही रहेंगे। कागज़ उद्योग फल फूल रहा है। पता नही कितने सीधे या छुपे तौर पर धंधों को इनकी वजह से ही रोटी नसीब होती है। लोग बड़ी बड़ी गाडियां अच्छी नौकरी के कारण ले पाते है, कार  बनाने वाली कंपनियां चल पड़ता है फिर बड़ी गाडियां को बचाने के लिए पता नही कितने डिवाइस आते है। 
कितना गिनाऊं, थक गया लिखते लिखते, बस यही समझे की कुछ राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय चोरों की वजह से  अनवरत शोध होते है, फिल्में  बनती है वहां भी तो  इनके ही कारण हजारों को रोजी रोटी मिलती है।
अब ऐसा लगता है कि आप इसे गलत नही कहेंगे कि  "चोरों की वजह से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है, रोजगार मिलता है और नए नए शोध और खोज होते हैं"
आपको यकीन हो जाएगा कि चोर ही सिस्टम की रीढ़ हैं।
बुरा - ना - मानो - होली है!

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