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बुरा ना मानो होली है

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सर्दियों का मौसम साफ-सुथरे तरीके से अटारी में सजा हुआ है, अब समय आ गया है कि अपने
कोकून से बाहर आने का और इस वसंत उत्सव का आनंद लेने का।प्रत्येक वर्ष होली का रंग रंग
त्यौहार फाल्गुन मास में पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है।यह वही समय है जब फसल
खेतों में लहलहाती रहती है और अच्छी फसल भूमि की उर्वरता का महिमामंडन करती दिखायी
देती है। नई फसल की आमद हर घर के भंडार को फिर से भर देती है और शायद ऐसी प्रचुरता
ही होली के दौरान उल्लास का कारण बनती है।

होली कैसे मनाते हैं?

होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।यह एक प्रतीकात्मक दहन बुराइयों को
समाप्त करने के लिए लगभग हर जगह किया जाता है।दहन करते समय होलिका का पुतला बना
कर उसे बुराई के स्वरूप समझ कर अग्नि के हवाले करते है।ऐसा करते समय ढोल नगाड़े,
म्यूजिक बजाकर आपस में खुशी बाँटते हैं एक दूसरे के गले लगते हैं और प्रेम तथा सौहार्द
फैलाते हैं। होली केवल फूलों और रंगों का त्योहार नहीं है।होली में तरह तरह प्रकार के व्यंजनों
की बहुतायत रहती है लगभग प्रत्येक घर में दही वडा, सूखा वडा (दही में डूबा हुआ नहीं),
मालपुआ (दूध, सूखे फल और आटा से बनती है), गुझिया (गुड़/ चीनी, मावा, खोवा इत्यादि)
और इसके अतिरिक्त अन्य पकवानों के साथ निश्चित रूप से थंडई भी शामिल रहती है।

होली के उत्सव पर नए कपड़े पहनना, बड़े लोगों के पैर छूकर आशीर्वाद लेना और युवा लोगों
के माथे पर गुलाल का टीका लगाकर आशीर्वाद देना भी शामिल है। छोटे छोटे टुकड़ियों में
लोग गांवो तथा शहरों में ढोल-मजीरा के साथ फाग/ फगवा गाते हुए एक दूसरे के मोहल्ले में
जाकर होली की बधाइयाँ तथा रंग खेलते हैं। युवा समूह को विभिन्न रंगों से सराबोर, गुलाल
लगाते देखना सभी को बहुत प्रिय लगता है। वातावरण संगीतमय और ख़ुशगवार बना रहता
है।
हमारे व्यस्त जीवन में यह एक दिन ऐसा होता है जब अपने दिल की बजाए दिमाग की सुनते
हैं। इसलिए कहते हैं कि बुरा ना मानो होली है। रंग खेल सकते हैं और रंग ना लगवाने के लिए
भाग सकते हैं। और हाँ, इसका अर्थ यह नहीं है कि आज कुछ भी कर सकते हैं जो असुविधा पैदा
करे या खतरनाक हो। ध्यान देने की बात है की होली ख़ुशीयों का त्योहार है इसे किसी भी
प्रकार बिगड़ने नहीं देना चाहिए।

राधा-कृष्ण कथा

होली मनाने के पीछे कई प्रकार के किदवंती प्रचलित है। हिरण्यकश्यप के अतिरिक्त होली
भगवान कृष्ण और राधा के अमर प्रेम की याद में भी मनाई जाती है। युवा कृष्ण अपनी माँ
यशोदा से शिकायत करते थे कि राधा इतनी गोरी और वह इतनी काली क्यों हैं। यशोदा ने उन्हें
सलाह दी कि वह राधा के चेहरे पर रंग लगाएं और देखें कि उनका रंग कैसे बदल जाएगा।
युवावस्था में कृष्ण की किंवदंतियों में, उन्हें गोपियों या ग्वालिनों के साथ हर तरह की शरारतें
करते हुए दिखाया गया है। एक शरारत उन सभी पर रंगीन पाउडर फेंकने की थी। इसलिए
होली पर, कृष्ण और राधा की छवियों को अक्सर सड़कों पर ले जाया जाता है। कृष्ण की
जन्मस्थली मथुरा के आसपास के गांवों में होली इसी रूप में हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

होली के अवसर पर कुछ प्रचलित वाक्यांश

होली में गुलाल हो, रंगों की बहार हो, गुझिया की मिठास हो, बिना पानी का त्योहार हो,
सबके दिल में एक बात हो, प्यार से ये त्योहार हो।
रंगो से तन मन भीगती है पिचकारी से रंग बरसाती है भाभी, आकर सबको रंगो से नहाती है भाभी।
आज न छोड़ेंगे खेलेंगे हम होली, इको फ्रेंडली होली।
पानी को बचाएंगे, सूखी होली मनाएंगे।
प्यार और विश्वास के रंग में डूबा हुआ होली का त्यौहार आया रे।
पानी को बचायेंगे, सूखी होली मनायेंगे।
सूरज की किरण खुशियों की बहार
चाँद की चाँदनी अपनों का प्यार
शुभ हो आप सबको ये रंगों का त्यौहार
होली की शुभकामनाएँ शुभकामनाएँ।

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